अहोई अष्टमी पर माताएं अपनी संतान की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस साल रविवार 8 नवंबर को अहोई का व्रत रखा जाएगा। इस व्रत में महिलाएं शाम को तारों को देखकर जल अर्पित करने के बाद व्रत को खोलेंगी। यह व्रत निर्जला रखा जाता है और इसमें अहोई मईया की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि कार्तिक मास की अष्टमी के दिन निर्जला व्रत रखकर अहोई माता की पूजा करने से संतान की लम्बी आयु होती है। अहोई माता की पूजा के लिए कहीं कहीं चांदी के दानें लाएं जाते हैं और हर अहोई अष्टमी पर दो दानें माला में पिरोए डाले जाते हैं। इस तरह हर साल माला में दो चांदी के दाने पिरोए जाते हैं और उस माला को माताएं पूजा के बाद धारण करती हैं। इसके बाद किसी भी अच्छे दिन इस माला की पूजा करके उतारा जाता है। इसके बाद अगली होई पर फिर चांदी के दो मनके माला में पिरोए जाते हैं। इस माला को भी पूजा में शामिल किया जाता है। जानें अहोई अष्टमी व्रत नियम |
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